Secondary Memory क्या है? इसके प्रकार, फायदे, नुकसान एवं पूरी जानकारी

secondary memory kya hai

हमारे फ़ोन, लैपटॉप, या किसी भी डिजिटल डिवाइस में मेमोरी एक मुख्य भाग होती है। एक तरीके से कहा जाए तो यह आपकी सभी चीजों को उस डिवाइस में डिजिटल तरीके से सहेजती है।

आपको शायद पता हो की मेमोरी दो प्रकार की होती है। प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी, इस लेख में हम आपको सेकेंडरी मेमोरी के बारे में बताएँगे। सेकेंडरी मेमोरी क्या है, प्रकार, फायदे, नुकसान एवं इसके काम करने का तरीका। सेकेंडरी मेमोरी के बारे में यह सब कुछ हम आपको इस पेज पर विस्तार से बताएँगे।

Secondary Memory क्या है?

सेकेंडरी मेमोरी एक प्रकार की कंप्यूटर मेमोरी होती है जिसका उपयोग बड़े डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है, जैसे कि वीडियो, इमेज, ऑडियो और फ़ाइल्स। यह मेमोरी प्राइमरी मेमोरी की तुलना में बहुत अधिक स्टोरेज कैपेसिटी वाली होती है, जिसके कारण इसमें ज़्यादा डेटा स्टोर किया जा सकता है।

सेकेंडरी मेमोरी में डेटा को स्टोर और डिलीट करना आसान होता है, और इसमें स्थायी (permanent) डेटा को स्टोर किया जाता है, जिसका मतलब है कि यदि कंप्यूटर बंद हो जाता है तो भी इसका डेटा नहीं खोता।

आपको बता दें की सेकेंडरी मेमोरी को कंप्यूटर के अलग से जोड़ा जाता है, और CPU सीधे तरीके से इसे एक्सेस नहीं कर सकता है। सेकेंडरी मेमोरी को एक्सेस करने के लिए, सेकेंडरी मेमोरी के डेटा को प्राइमरी मेमोरी में ट्रांसफर किया जाता है तब जाके CPU सेकेंडरी मेमोरी को एक्सेस कर सकता है।

सेकेंडरी मेमोरी को “एक्सटर्नल मेमोरी” या “सहायक मेमोरी” भी कहा जाता है, और यह डेटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर करने में मदद करती है।

इस मेमोरी की क्षमता अधिक होती है और यह सस्ती और कम खर्चीली होती है। कुछ प्रमुख उदाहरण इसमें हार्ड डिस्क, मैग्नेटिक डिस्क, मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव, और फ्लॉपी डिस्क हैं।

इसके अलावा, सेकेंडरी मेमोरी का डेटा बिजली के बिना भी सुरक्षित रहता है, जबकि प्राइमरी मेमोरी में डेटा बिजली के चले जाने पर खो जाता है।

सेकेंडरी मेमोरी के फ़ायदे

सेकेंडरी मेमोरी एक महत्वपूर्ण डेटा स्टोरेज डिवाइस है जिसके कई फ़ायदे होते हैं।

  • सभी प्रकार के डाटा को स्टोर कर सकता है, जिसमें मल्टीमीडिया डेटा एवं अन्य सभी प्रकार के डेटा शामिल हो सकते हैं।
  • इसमें किसी भी प्रकार के डाटा को परमानेंट रूप से स्टोर करके रखा जा सकता है, जिससे डेटा की सुरक्षा होती है।
  • प्राइमरी मेमोरी के मुकाबले सेकेंडरी मेमोरी की कीमत कम होती है, जिससे यह एक कॉस्ट-इफेक्टिव डेटा स्टोरेज सॉल्यूशन होता है।
  • इसका उपयोग करना आसान है।
  • इसकी मदद से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा ट्रांसफर किया जा सकता है।

सेकेंडरी मेमोरी के नुकसान

सेकेंडरी मेमोरी के उपयोग के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं।

  • सेकेंडरी मेमोरी स्लो होती है, जिसका मतलब है कि डेटा को एक्सेस करने में प्राइमरी मेमोरी के मुकाबले इसमें अधिक समय लगता है।
  • सेकेंडरी मेमोरी से डेटा की रिकवरी करना बहुत मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर डेटा खो जाता है या कराब हो जाता है।
  • सेकेंडरी मेमोरी में कोई खराबी होती है, तो उसे ठीक करना अक्सर मुश्किल हो सकता है, और डेटा की हानि का खतरा बना रहता है।

Secondary memory के प्रकार

दोस्तों सेकेंडरी मेमोरी अलग-अलग प्रकार की होती है। यहाँ पर हमने सेकेंडरी मेमोरी के कुछ मुख्य प्रकार बताये हैं।

1. HDD

HDD का मतलब होता है “हार्ड डिस्क ड्राइव”। यह एक प्रकार का नॉन-इलेक्ट्रिकल स्टोरेज डिवाइस है जिसका काम डेटा को सुरक्षित रूप से स्टोर करना है।

यह डिस्क डेटा को बरकरार रखती है यानी कंप्यूटर बंद होने पर भी यह डेटा रहे। सभी कंप्यूटर, लैपटॉप, और मोबाइल डिवाइस को डेटा स्टोर करने के लिए इस तरह की एक स्टोरेज डिवाइस की जरुरत होती है, और हार्ड डिस्क ड्राइव को इन उपकरणों में इंस्टॉल किया जाता है।

इस ड्राइव का उपयोग डेटा को पढ़ने और लिखने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है।

2. SSD

SSD का मतलब होता है “सॉलिड स्टेट ड्राइव”। यह एक प्रकार का सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस है जो HDD की तरह ही बड़ी मात्रा में डेटा को बिना डिलीट किए हमेशा के लिए स्टोर कर सकता है।

SSD में आपको एक प्रकार की फ्लैश मेमोरी मिलती है, जो किसी बात की तुलना में हार्ड डिस्क के मुकाबले बहुत तेज होती है। जब कंप्यूटर में SSD होती है तो कंप्यूटर का काम भी बेहतर होता है और उसकी स्पीड भी बढ़ जाती है।

3. Flash Drive (फ्लैश ड्राइव)

फ्लैश ड्राइव एक तरह की डेटा स्टोरेज डिवाइस होती है, जिसका उपयोग डेटा और फाइलों को सुरक्षित रूप से स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह डिवाइस बहुत छोटी होती है और इसे कंप्यूटर से जोड़ने के लिए USB पोर्ट का उपयोग किया जाता है।

फ्लैश ड्राइव को कंप्यूटर में डेटा स्टोर और ट्रांसफर करने के लिए सबसे आसान तरीका माना जाता है, और इसका साइज 2GB से 1TB तक होता है।

4. DVD (डीवीडी)

डीवीडी का पूरा नाम “Digital Video Disk” या “Digital Versatile Disk” होता है। यह एक प्रकार की ऑप्टिकल डिस्क तकनीक होती है, जिसका उपयोग बहुत बड़े मात्रा में डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। डीवीडी की स्टोरेज क्षमता 4.7 GB से 17.08 GB तक होती है।

इसका प्रमुख उपयोग मूवीज को स्टोर करने के लिए होता है, लेकिन आजकल ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाएं भी बढ़ गई हैं इसके कारण इसका उपयोग समय के कम हो गया है।

5. CD (सीडी)

सीडी का पूरा नाम “कॉम्पैक्ट डिस्क” होता है। यह एक विशेष प्रकार की डिस्क होती है, जिस पर डेटा को एक बार लिखा जा सकता है और उसको कई बार पढ़ा जा सकता है। सीडी से डेटा पढ़ने के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है, जिसे सीडी आरओएम ड्राइव कहते हैं। एक सीडी में 700 MB तक का डेटा स्टोर किया जा सकता है।

6. Memory Card (मेमोरी कार्ड)

मेमोरी कार्ड एक तरह की छोटी स्टोरेज डिवाइस होती है, जिसका काम होता है विभिन्न प्रकार के डेटा और मल्टीमीडिया को सुरक्षित रूप से स्टोर करना।

आमतौर पर यह मोबाइल फोन्स में गाने, वीडियो, और फोटो जैसे चीजें स्टोर करने के काम में आता है और इसकी क्षमता 64GB तक हो सकती है।

7. Magnetic Tape (मैग्नेटिक टेप)

मैग्नेटिक टेप डेटा को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने की एक पुरानी तकनीक है।इसकी क्षमता 100MB से 200 GB तक हो सकती है।

इसका उपयोग उन स्थितियों में किया जाता है जहां डेटा को लंबे समय तक सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसका जीवन बहुत लंबा होता है।

8. Zip Drive 

ज़िप ड्राइव एक छोटा पोर्टेबल डिस्क ड्राइव होता है, जिसका काम होता है कंप्यूटर की फाइलों को स्टोर और बैकअप करना। इसकी क्षमता 750 MB तक हो सकती है, अर्थात यह 750MB तक के डेटा को स्टोर कर सकता है।

प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी में अंतर

प्राइमरी मेमोरीसेकेंडरी मेमोरी
यह अस्थायी होती है और डेटा को तुरंत प्रोसेस करती है।यह स्थायी है और डेटा को लंबे समय तक स्टोर करती है।
प्राइमरी मेमोरी को प्रोसेसर या सीपीयू (CPU) के द्वारा सीधे एक्सेस किया जा सकता है।सेकेंडरी मेमोरी को प्रोसेसर या सीपीयू (CPU) के द्वारा सीधे एक्सेस नहीं किया जा सकता।
यह volatile और Non-volatile दोनों प्रकार की होती है। जिसका मतलब है कि डेटा की सुरक्षा के लिए बिजली की आवश्यकता होती है।यह Non-volatile प्रकार की होती है। जिसका मतलब है कि डेटा को बिना बिजली के भी सुरक्षित रूप से स्टोर किया जा सकता है।
सेकेंडरी मेमोरी की तुलना में महंगी होती है।यह सस्ती होती है।
इसे मुख्य मेमोरी या आंतरिक मेमोरी के रूप में भी जाना जाता है।इसे एक्सटर्नल मेमोरी या सेकेंडरी मेमोरी के नाम से भी जाना जाता है।
इसके उदाहरण: RAM, ROM, कैश मेमोरी, PROM, EPROM, रजिस्टर आदि होते हैं।इसके उदाहरण: हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप्स आदि होते हैं।

FAQ: Secondary Memory से जुड़े सवाल – जवाब

  1. प्राइमरी मेमोरी का दूसरा नाम क्या है?

    प्राइमरी मेमोरी का दूसरा नाम “मुख्य मेमोरी” होता है।

  2. मेमोरी कार्ड कौन सी मेमोरी है?

    मेमोरी कार्ड एक प्रकार की सेकेंडरी मेमोरी होती है।

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